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नतीजे अपने-आप जनरेट करना और उन्हें रैंक करना

Google के रैंकिंग सिस्टम इस तरह से डिज़ाइन किए गए हैं कि वे अरबों-खरबों वेब पेज और अन्य डिजिटल कॉन्टेंट को बहुत तेज़ी से खोजते हैं, ताकि आपको पलक झपकते ही सबसे काम के और मददगार नतीजे पहले पेज पर दिखाए जा सकें.

एक व्यक्ति Google Search के नतीजों की जांच कर रहा है

Google Search, नतीजों को किस तरह लगातार बेहतर बनाता है

Search के सिस्टम किस तरह काम करते हैं

आपको सबसे काम की जानकारी देने के लिए, Search एल्गोरिद्म कई पहलुओं और सिग्नल पर ध्यान देते हैं. इनमें क्वेरी के लिए इस्तेमाल किए गए शब्द, पेजों की उपयोगिता और उनका ज़रूरत के हिसाब से होना, सोर्स का भरोसेमंद और विशेषज्ञता वाला होने के साथ-साथ आपकी जगह की जानकारी और सेटिंग शामिल हैं.

आपको खोज नतीजों में दिखाई जाने वाली जानकारी में किन पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा, यह आपकी क्वेरी पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, अगर आपने हाल की किसी खबर को खोजा है, तो शब्दकोश में दी गई परिभाषाओं के बजाय कॉन्टेंट के नएपन की भूमिका ज़्यादा मायने रखेगी.

Search के मुख्य सिग्नल में ये शामिल हैं:

आपकी क्वेरी का मतलब

अलग-अलग कॉन्टेक्स्ट के हिसाब से शब्द का मतलब बदलता है, यह दिखाते हुए खोज फ़ील्ड का इलस्ट्रेशन
काम के खोज नतीजे दिखाने के लिए, सबसे पहले हमारे लिए यह जानना ज़रूरी होता है कि आपको किस चीज़ की तलाश है यानी क्वेरी पूछने के पीछे का आपका मकसद. इसके लिए, हमने लैंग्वेज मॉडल तैयार किए हैं. इनसे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि खोज बॉक्स में डाले गए आपके थोड़े से शब्दों के हिसाब से कौनसा कॉन्टेंट आपके लिए सबसे ज़्यादा काम का हो सकता है.

इस सिस्टम को तैयार करने में पांच साल से ज़्यादा का समय लगा. अब इससे, अलग-अलग भाषाओं में की जाने वाली 30% से ज़्यादा खोजों के नतीजों को बेहतर बनाने में मदद मिली है.
इसमें स्पेलिंग की गलतियां पहचान कर उन्हें ठीक करने जैसे आसान से लगने वाले चरण से लेकर, समानार्थी शब्दों की पहचान करने वाला हमारा बेहतरीन लेकिन जटिल सिस्टम शामिल है, जिससे हमें आपके लिए काम का कॉन्टेंट खोजने में मदद मिलती है. भले ही, ऐसे कॉन्टेंट में बिलकुल वही शब्द न हों जो आपने खोज क्वेरी में इस्तेमाल किए थे. उदाहरण के लिए, हो सकता है कि आपने “लैपटॉप की चमक बदलें” क्वेरी खोजी हो, लेकिन नतीजे में मिलने वाले मैन्युफ़ैक्चरर के कॉन्टेंट में “लैपटॉप की चमक अडजस्ट करें” लिखा हो. हमारे सिस्टम इस बात को अच्छे से समझते हैं कि शब्द और उसे लिखने का मकसद आपस में जुड़े होते हैं. इसी वजह से, ये सिस्टम आपको सही नतीजे दिखा पाते हैं.

Search कैसे तय करता है कि कॉन्टेक्स्ट क्या है

  • कीवर्ड

    अगर आपने क्वेरी में “खाना बनाने” या “तस्वीरें” जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है, तो हमारे सिस्टम आपकी क्वेरी के हिसाब से नतीजों में, रेसिपी या इमेज दिखाते हैं.

  • भाषा

    आपकी क्वेरी की भाषा से यह तय होगा कि ज़्यादातर नतीजे किस भाषा में दिखेंगे. उदाहरण के लिए, फ़्रेंच में पूछी गई क्वेरी का जवाब फ़्रेंच में मिलता है.

  • स्थानीय भाषा के मुताबिक

    हमारे सिस्टम यह भी समझ सकते हैं कि कई क्वेरी के स्थानीय मायने होते हैं. यही वजह है कि “पिज़्ज़ा” खोजने पर, आपको आस-पास के उन कारोबारों की जानकारी भी दिखती है जो इसकी डिलीवरी देते हैं.

  • मौजूदा इवेंट

    खेलों के स्कोर, किसी कंपनी की कमाई या मौजूदा समय की अहम खबरें खोजने पर, आपको नतीजों में सबसे ताज़ा जानकारी मिलेगी.

कॉन्टेंट कितने काम का है

इसके बाद, हमारे सिस्टम उस कॉन्टेंट का विश्लेषण करते हैं, ताकि यह आकलन किया जा सके कि क्या उसमें ऐसी जानकारी मौजूद है जो आपकी खोज के हिसाब से काम की हो सकती है.



कॉन्टेंट में आपकी सर्च क्वेरी से मिलते-जुलते कीवर्ड मौजूद होना, यह बताने का सबसे मूल सिग्नल होता है कि जानकारी काम की है. उदाहरण के लिए, अगर कीवर्ड किसी वेबपेज के टाइटल या उसके मुख्य टेक्स्ट में मौजूद होते हैं, तो वह जानकारी ज़्यादा काम की हो सकती है.


जानकारी कितने काम की है, यह पता लगाने के लिए हमारे सिस्टम मेज़र किए जा सकने वाले सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं. इन्हें अलग-अलग नज़रिए से लिखे जाने वाले कॉन्टेंट का विश्लेषण करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है. जैसे, किसी मुद्दे पर राय या राजनैतिक झुकाव दिखाने वाले कॉन्टेंट.

खोज के नतीजे क्वेरी से जुड़े हुए है या नहीं, इसका आकलन करने के लिए हम इंटरैक्शन का डेटा इस्तेमाल करते हैं. यह डेटा पहचान छिपाकर इकट्ठा किया जाता है. हम इस डेटा को सिग्नल में बदलकर अपने मशीन लर्निंग सिस्टम को देते हैं, जिससे वे क्वेरी और खोज नतीजों के संबंध का अनुमान लगा पाते हैं. उदाहरण के लिएः मान लीजिए आपने ‘’कुत्ता’’ शब्द खोजा, तो आपको ऐसा पेज देखना पसंद नहीं आएगा जिसमें सैकड़ों बार ‘’कुत्ता’’ लिखा हो. इसी बात को ध्यान में रखते हुए, एल्गोरिद्म यह आकलन करता है कि क्या पेज पर ‘’कुत्ता’’ शब्द के अलावा और भी मिलता-जुलता कॉन्टेंट है. जैसे कुत्तों की तस्वीरें, वीडियो, या कुत्तों की नस्लों के बारे में जानकारी देने वाली कोई सूची.

साइकलों वाले खोज के नतीजों की जांच करते हुए मैग्नीफ़ाइंग ग्लास का इलस्ट्रेशन

सही और भरोसेमंद नतीजे दिखाना

Google पर दिखने वाले खोज के नतीजों की रैंक, राजनैतिक झुकाव के आधार पर तय नहीं की जाती है. हम किसी खास राजनैतिक विचारधारा, नज़रिए या उम्मीदवार को बढ़ावा देने या नुकसान पहुंचाने के लिए, खोज के नतीजों में हेरफेर, प्रॉडक्ट में बदलाव या नीतियां लागू नहीं करते हैं. हम हर साल लाखों एक्सपेरिमेंट करते हैं, ताकि Search को सभी लोगों के लिए लगातार बेहतर बनाया जा सके.

Stanford और The Economist ने इंडिपेंडेंट रीसर्च में पाया है कि Search और News में दिखने वाले नतीजे, किसी राजनैतिक पक्षपात के आधार पर नहीं दिखाए जाते. The Economist का कहना है: “Google सही और भरोसेमंद रिपोर्टिंग को बढ़ावा देता है.”

कॉन्टेंट की क्वालिटी

इलस्ट्रेशन में दिख रहा है कि जानकारी वाले कई पेजों के बीच एक पेज को उपयोगकर्ता के लिए, बेहतरीन क्वालिटी के कॉन्टेंट वाले पेज के तौर पर चुना गया है

ज़िम्मेदारी के साथ विज्ञापनों को लेबल करना

Search पर दिखने वाले नतीजे, पूरी तरह से आपकी क्वेरी पर आधारित होते हैं. इस बात से उन पर कोई असर नहीं पड़ता है कि कोई कारोबार, व्यक्ति या संगठन विज्ञापन खरीदता है या नहीं.

सभी विज्ञापनों को हमेशा “प्रायोजित” या “विज्ञापन” के तौर पर लेबल किया जाएगा. साथ ही, उन्हें खोज के नतीजों से अलग दिखाया जाएगा. विज्ञापन देने वाले लोगों या कंपनियों को हम कोई ऐसी खास सुविधा नहीं देते जिससे हमारे सर्च एल्गोरिदम उनकी वेबसाइटों की रैंक बेहतर करने में मदद करते हों. साथ ही, कोई भी हमें पैसे देकर इस तरह का काम नहीं करवा सकता. हमारे लिए, लोगों को मिलने वाला अनुभव सबसे ज़्यादा मायने रखता है. इसलिए, हम सिर्फ़ ऐसे विज्ञापन दिखाते हैं जो लोगों के लिए मददगार हों. यहां तक कि सर्च क्वेरी के नतीजों में दिखने वाले किसी छोटे से विज्ञापन से भी, हमारी कमाई सिर्फ़ तब होती है, जब लोगों को यह काम का लगे और वे इस पर क्लिक करें. क्लिक करने से पहले हमारी कोई कमाई नहीं होती है. हम विज्ञापनों की क्वालिटी को बेहतर बनाने के हमारे सिस्टम पर काफ़ी खर्च करते हैं, ताकि लोगों को लगातार बेहतर क्वालिटी के और उनके काम के विज्ञापन दिखाए जा सकें. इस सिस्टम से उपयोगकर्ताओं को अपनी ज़रूरत के हिसाब से काम के नतीजे मिलते हैं.

काम के कॉन्टेंट की पहचान करने के बाद, हमारे सिस्टम उस कॉन्टेंट को प्राथमिकता से दिखाते हैं जो लोगों के लिए ज़्यादा मददगार हो सकता है. इसके लिए, ये सिस्टम ऐसे सिग्नल की पहचान करते हैं जिनसे यह पता चल पाए कि किस कॉन्टेंट में मौजूद जानकारी सही, भरोसेमंद और खास है.

उदाहरण के लिए, कॉन्टेंट की क्वालिटी तय करने का एक तरीका यह देखना है कि क्या दूसरी प्रमुख साइटें, अपने पेज पर इस कॉन्टेंट का संदर्भ या लिंक शेयर करती हैं. इसे आमतौर पर, इस बात का अच्छा संकेत माना जाता है कि जानकारी भरोसेमंद है. क्वालिटी के आकलन की इस प्रोसेस से मिली राय या सुझाव से, हमारे सिस्टम कॉन्टेंट की क्वालिटी को बेहतर तरीके से पहचान पाते हैं.

वेब और सूचना के दूसरे नेटवर्क पर मौजूद कॉन्टेंट लगातार बदल रहा है. हम अपने सिस्टम की क्वालिटी को लगातार मापते और इसका आकलन करते हैं, ताकि यह पक्का किया जा सके कि आपको दी जाने वाली जानकारी सही और आपके काम की हो. साथ ही, हमारी कोशिश रहती है कि आपको बेहतर नतीजे मिलें, जिससे कि आपका भरोसा हम पर बना रहे.

Search के नतीजे में साइकल की इमेज के साथ हरे रंग के बार की इमेज मौजूद है. इससे उस नतीजे की बेहतर उपयोगिता का पता चल रहा है

कॉन्टेंट की उपयोगिता

हमारे सिस्टम कॉन्टेंट की उपयोगिता को भी ध्यान में रखते हैं. अगर दूसरे सभी सिग्नल करीब-करीब एक जैसे हों, तो उस कॉन्टेंट की परफ़ॉर्मेंस बेहतर होगी जिसे लोग आसानी से ऐक्सेस कर पाएं. उदाहरण के लिए, हमारे सिस्टम पेज को ऐक्सेस करने से जुड़े पहलुओ पर ध्यान देते हैं, जैसे कि मोबाइल पर तेज़ी से लोड होने वाला कॉन्टेंट. मोबाइल इस्तेमाल करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिहाज़ से यह एक ज़रूरी पहलू है.

कॉन्टेक्स्ट और सेटिंग

अलग-अलग जगह के हिसाब से, फ़ुटबॉल शब्द के अलग-अलग मतलब दिखाते हुए ग्लोब का इलस्ट्रेशन

निजी खोज नतीजे दिखाए जा रहे हैं

“फ़िल्टर बबल” उन स्थितियों को कहते हैं जब इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों को सिर्फ़ अपनी सोच और विश्वास से मिलता जुलता कॉन्टेंट या जानकारी दिखती है. Google Search लोगों को “फ़िल्टर बबल” में नहीं डालता. हमारे सिस्टम आपके धर्म, नस्ल या राजनैतिक जुड़ाव जैसे संवेदनशील पहलुओं का अनुमान लगाने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं. जब भी हम Search पर खोज के नतीजों को ज़्यादा मददगार बनाने के लिए, इन्हें आपकी दिलचस्पी के हिसाब से बनाते हैं, तब हम आपको इसकी जानकारी देते हैं. हमारी “इस नतीजे की जानकारी” सुविधा के ज़रिए, यह आसानी से देखा जा सकता है कि किसी क्वेरी के लिए मिलने वाला नतीजा, किस हद तक आपके खोज इतिहास या अन्य निजी डेटा पर आधारित था. साथ ही, आपके पास खोज नतीजों को आपके हिसाब से बनाने की सुविधा को आसानी से बंद करने का विकल्प होता है.

सबसे खास बात यह है कि लोग Google पर अपनी पसंद के हिसाब से कोई भी जानकारी खोज सकते हैं. साथ ही, दुनिया के बारे में अपनी समझ को बेहतर बनाने के लिए, अलग-अलग लोगों का नज़रिया जान सकते हैं.

Search का मकसद लोगों की जिज्ञासा को शांत करने के लिए, जितना हो सके सही जानकारी उपलब्ध कराना है. मौजूदा समय और संदर्भ में आपके लिए कौनसी जानकारी सबसे काम की होगी, यह तय करने के लिए हम हम अलग-अलग सिग्नल का इस्तेमाल करते हैं. जैसे, आपकी जगह की जानकारी, आपका पिछला खोज इतिहास, और Search से जुड़ी आपकी सेटिंग. उदाहरण के लिए, शिकागो में मौजूद किसी व्यक्ति को “फ़ुटबॉल” खोजने पर 'अमेरिकन फ़ुटबॉल' और 'शिकागो बेयर्स' से जुड़े नतीजे दिख सकते हैं. हालांकि, इसी क्वेरी के लिए लंदन में मौजूद किसी व्यक्ति को सॉकर और प्रीमियर लीग के नतीजे दिख सकते हैं.

अगर आपने कोई पेज पहले भी कई बार खोला हो, तो हमारे सिस्टम इसकी पहचान कर सकते हैं और उसे Search पर आपके खोज के नतीजों में सबसे ऊपर दिखा सकते हैं. इसके अलावा, अगर एक ही क्वेरी बार-बार पूछी जाती है, तो आपको हर बार नई जानकारी और लोकप्रिय खबरें दिख सकती हैं. Search पर मौजूद किसी भी तरह की जानकारी दिखाने के लिए, हमारे सिस्टम एक जैसा तरीका अपनाते हैं यानी अनुभव, विशेषज्ञता, प्रामाणिकता, और भरोसेमंद होने जैसे पहलुओं के आधार पर अच्छी क्वालिटी की जानकारी दिखाते हैं.

ये सिस्टम आपकी दिलचस्पी के हिसाब से नतीजे दिखाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन इन्हें आपके धर्म, नस्ल या राजनैतिक झुकाव जैसी संवदेनशील बातों का अनुमान लगाने के लिए नहीं बनाया गया है.

हमने आपके लिए, सेटिंग को मैनेज करना और इसे कंट्रोल करना काफ़ी आसान बना दिया है. इससे आपको तुरंत किसी खास विषय पर जानकारी हासिल करने या फिर क्रिएटर्स या उपभोक्ताओं से सीधे तौर पर किसी विषय के बारे में जानने में आसानी होगी. यह हमेशा देखा जा सकता है कि कौनसे नतीजे आपकी दिलचस्पी के हिसाब से बनाए गए हैं. साथ ही, आपके पास सेटिंग को किसी भी समय बदलने का विकल्प होता है.

Search पर की गई अपनी गतिविधियों को मैनेज करनाा

आपके पास यह मैनेज करने का विकल्प है कि आपको Search पर बेहतर अनुभव देने के लिए, Search पर की गई किस गतिविधि का इस्तेमाल किया जाए. इसमें, आपके Google खाते में कौनसा डेटा सेव किया जाए, यह तय करना और उस डेटा को मैनेज करना भी शामिल है. आपके पास किसी भी समय, अपनी प्राथमिकताओं और पसंद के हिसाब से विज्ञापन देखने की सेटिंग को अपडेट करने या उसमें बदलाव करने का विकल्प होता है. इसके लिए, अपने खाते पर जाएं.

आपको कॉन्टेंट की प्राथमिकताएं तय करने के लिए, सेटिंग में सेफ़ सर्च जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं. इनसे आपको यह तय करने में मदद मिलती है कि खोज के नतीजों में दिल दहलाने वाला कॉन्टेंट शामिल करना है या नहीं. ऐसा कॉन्टेंट कुछ लोगों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है.